Sardar Patel Biography: आज के समय मे हम सभी Ironman को जानते है लेकिन रिल लाइप और रियल लाइफ एक फर्क होता है, आज के भारत को शायद ही पता होगा हमारे देश मे लौहपुरुष जैसे महान व्यक्ति का भी जन्म हुआ है। हम बात सरदार वल्लभ भाई पटेल कि जिन्हे लौहपुरुष के नाम से जाना जाता है और जिस तरह से Marvel के Ironman के पास प्राकृतिक दिल नही होता है, ठीक इसी तरह से सरदार वल्लभ भाई पटेल के पास भी दिल नही था और इस बात इनके जीवन के कहानियों से पता चलता है। लौहपुरुष को अंग्रेजी मे Ironman कहते है।
आज इस आर्टिकल मे आप जानेंगे भारत के लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारे मे
Sardar Patel Bio in Hindi: सरदार पटेल जीवन परिचय
कहा जाता है कि एक भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई और एक एकीकृत, स्वतंत्र राष्ट्र मे अपने एकीकरण का मार्गदर्शन किया।
सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टुबर साल 1975 को नडियाद, गुजरात में एक लेवा पटेल जाति मे हुआ था, इनके पिता का नाम झवेरभाई पटेल और माता का नाम लाडबा देवी था। सरदार पटेल अपने माता-पिता के चौथी संतान थे, इनसे पहले इनके तीन भाई थे और उनका नाम सोमाभाई, नरसीभाई और विट्टलभाई था। उनकी शिक्षा मुख्यतः स्वाध्याय से ही हुई। लन्दन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया।
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Sardar Patel Biography: सरदार पटेल आजादी के लिए संघर्ष
गांधी जी से प्रेरित होकर देश कि आजादी कि संघर्ष मे जुडते ही इन्होने साल 1918 मे खेडा संघर्ष किया, गुजरात का खेडा खण्ड उन दिनों भयंकर सूखे की चपेट में था क्योकि बारीश का दुर-दुर कोई नाम नही था। किसानो ने अंग्रेज सरकार से भारी कर मे छूट की मांग की लेकिन अंग्रेज हुकुमत इस अर्जी को स्वीकार नही किया। जब यह स्वीकार नहीं किया गया तो सरदार पटेल, गांधीजी एवं अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हे कर न देने के लिये प्रेरित किया। अंत मे अंग्रेज सरकार झुकी और अंग्रेज हुकुमत के तरप से उस वर्ष कर मे राहत दी गयी। आजादी के संघर्ष मे यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी।
इस संघर्ष के ठीक 10 साल के बाद सरदार पटेल ने एक बार फिर अंग्रेज हुकुमत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और इस बार जगह गुजरात के बारडोली मे हो रहा था, बारडोली सत्याग्रह, भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान वर्ष 1928 में गुजरात में हुआ एक प्रमुख किसान आंदोलन था, जिसका नेतृत्व वल्लभभाई पटेल ने किया । उस समय प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में तीस प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी थी।
इसके बाद सरदार पटेल को अंग्रेजी हुकुमत को घेरने का मोका मिल चुका था और सरदार पटेल ने इस मोके को पुरा भुनाया और कर का जमकर विरोध किया। सरकार ने इस सत्याग्रह आंदोलन को कुचलने के लिए कठोर कदम उठाए, पर अंतत: विवश होकर उसे किसानों की मांगों को मानना पड़ा। एक न्यायिक अधिकारी ब्लूमफील्ड और एक राजस्व अधिकारी मैक्सवेल ने संपूर्ण मामलों की जांच कर 22 प्रतिशत लगान वृद्धि को गलत ठहराते हुए इसे घटाकर 6.03 प्रतिशत कर दिया। इस सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की।
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Sardar Patel Biography: सरदार पटेल आजादी के बाद की संघर्ष
आजादी के बाद भी सरदार पटेल कि जींदगी से संघर्ष दुर नही किया गया था, सरदार पटेल देश के प्रधानमंत्री के दौड मे सबसे आगे चल रहे थे और उनका बनना भी तय था लेकिन गांधी जी के कहने पर उन्होने इस दौड से अपना नाम वापस ले लिया और नेबरु जी का समर्थन करने लगे। देश के आजादी के बाद सरदार पटेल देश के पहले उप-प्रधानमंत्री थे और साथ मे देश के गृहमंत्री का पद संभाला था, एक गृहमंत्री होने के नाते सरदार पटेल पर देश को एक करने की जिम्मेदारी थी और इन्होने इस काम बहुत ही बेहतर तरीके अंजाम दिया। सरदार पटेल ने खुद ही कहा था वो इस काम बिना खुन बहाये करेंगे और उन्होने ऐसा करके भी दिखाया। देश के कुल 565 रियासतें थी और सभी रियासतों को सरदार पटेल ने देश के साथ जोड दिया था, कहते है कि सरदार पटेल क बिना देश कल्पना शायद असंभव थी क्योकि आजादी के बाद के संघर्ष मे सभी रियासतों को बिना खुन बहाये मिलाना सबसे बडी उपलब्धीयों मे से एक है।
सरदार पटेल से जुडा एक किस्सा याद आता है, सरदार पटेल ने लंदन मे बैरिस्टर कि पढाई कि थी और सरदार पटेल एक बार अदालत मे मुकदमा लड रहे थे। इसी दौरान खबर आयी कि उनकि पत्नी का देहांत हो गया, ये खबर उन्हे एक चिट्ठी के द्वारा मिली थी और सरदार पटेल खबर को पढकर अपने काम मे लग गये। शायद इसी कारण इन्हे लौहपुरुष कहा जाता होगा, हांलाकी सरदार पटेल ने 565 रियासतो को मिलाया तो लौहपुरुष होना पडता है।
साल 1950, 15 दिसंबर को देश के पहले उप-प्रधानमंत्री और भारत के लौहपुरुष का 75 साल के उम्र मे देहांत हो गया, आजादी से लेकर देश को एक करने का तक इनका संघर्ष हमे प्रेरणा देती और बताती है कि भारत देश कि स्थापना किस तरह से हुयी है।
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